पिछले दिनों यूनिट टेस्ट में बच्चों से अपनी पढ़ी किसी पुस्तक की समीक्षा लिखने के लिए कहा। नीलम विष्ट ने गोदान पर यह समीक्षा लिखी जिसे पढ़कर मैं गदगद हो गया। मुझे विश्वास नहीं हुआ कि कक्षा दस में पढ़ने वाली एक छात्रा भी पहले ही ड्राफ्ट में ऐसी समीक्षा लिख सकती है। उपन्यास को देखने की उनकी दृष्टि से मैं अवाक् रह गया। मुझे कुछ शंका भी हुई कि हो न हो किसी ने मदद की होगी लेकिन पता चला कि नीलम एक ऐसे परिवार की छात्रा हंै जिनके परिवार में दूर-दूर तक साहित्य का कोई वातावरण नहीं है। यह उपन्यास उन्होंने स्कूल के पुस्तकालय से लेकर पढ़ा। जब यह समीक्षा लिखी गई यह उपन्यास उनके पास नहीं था। एक बार पढ़कर स्मृतियों के आधार पर लिखा गया है। भले ही नीलम अभी अपने भाषा को तलाश रही हैं तथा विचारों में क्रमबद्धता आनी शेष है लेकिन यह अभ्यास से हासिल हो जाएंगी। वैसे भी हिंदी उनकी दूसरी भाषा है जिस पर धीरे-धीरे ही अधिकार पाया जा सकता है। नीलम कविता भी लिखती हैं। उनकी कुछ कविताएं मैंने पिछले दिनों अपने ब्लाॅग में प्रस्तुत की थी। आज पढ़िए उनके द्वारा लिखी यह समीक्षा -
मैंने गोदान पढ़ा, जिसमें नायक होरी आसामी होता है तथा उसकी पत्नी धनियां खेती-बाड़ी में उसकी मदद करती है। धनिया को एक विरोधी नायिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है जबकि नायक होरी बिना किसी बात के विरोध किए समाज के उच्च वर्गों द्वारा कहे जाने वाली बातों को स्वीकार करता है। इस प्रकार वह खेतीहर मजदूर बन जाता है। इसके विपरीत गोबर गांव में काम करके पिसना नहीं चाहता है। वह नहीं चाहता है कि परिश्रम वह करे और खाए कोई और।
प्रेमचंद जी ने इस उपन्यास में महिलाओं की स्थिति का वर्णन किया है जिसमें विधवा विवाह,दहेज प्रथा आदि को उजागर किया गया है। इसमें मिस मालती जैसी महिलाएं भी दिखाई गई हैं जो दूसरों की सेवा में तत्पर रहती हैं और फिलोसफर की तरह जिंदगी व्यतीत करना चाहती है। यह उस समाज की पढ़ी-लिखी महिला है जो अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। यह लखनऊ की प्रसिद्ध डाॅक्टर है। वह आधुनिक बातों को मानने वाली महिला है। इसके विपरीत मिसेज खन्ना जो कविताएं रचती है तथा घर के सारे बंधनों से बंधी है। भोग-विलास के साम्राज्य में रहकर भी उन्हें भोग-विलास तनिक भी न छू पाया है। वह एक त्यागी तथा आदर्श महिला है। मिस खन्ना बेहद कंजूस है। उन दोनों में कोई बात नहीं पटती क्योंकि मिस खन्ना पूरी तरह भोग-विलास में डूबे हुए व्यक्ति हैं। मिस्टर मेहता एक फिलास्फर व्यक्ति हैं जो प्रसिद्ध डाॅक्टर भी हैं। वे अपने पैसे को लोगों की सेवा में अर्पित करते हैं तथा समाज के बंधनों से मुक्त किताबी कीड़े हैं अर्थात पुस्तकों का पीछा नहीं छोड़ना चाहते हैं। ये शहर के जीवन को दर्शाते हैं। इस प्रकार यह रचना काफी रोचक है।
मेरे विचार से इसमें धनिया काफी हद तक सही होती है। यदि होरी की जगह धनिया कर चुकाने जाती तथा लोगों के सामने बेझिझक बात रखने का उसमें जो साहस है ,उसे होरी नहीं दबाता तो शायद वह खेतीहर मजदूरी करने और इस प्रकार के ऋणों में डूबने से मुक्त रहते।यह उपन्यास यह प्रेरणा देता है कि लोगों का सीधापन ही उनके पतन का कारण बनता है। हमें अपने हितों की रक्षा के लिए विरोध करना भी आना चाहिए होरी बेवजह ही ऋण चुकाता था।
जब गोबर ने किसी विधवा स्त्री से शादी कर ली यह कोई गलत कार्य नहीं था। होरी भी इससे सहमत था लेकिन महाजनों के कहने पर बिरादरी के भय से उसने अपने घर को ही दांव में लगा लिया। इसी तरह भोला की गाय 80 रुपए की थी जबकि होरी के बैल 300 रुपए के थे। गांव वाले उसके साथ थे फिर भी उसने बैलों को ले जाने से नहीं रोका। यह सब उसके सीधेपन का ही परिणाम था। इस वजह से होरी के घर में चूल्हा भी नहीं जलता। यह बहुत बड़ी दीनता थी। आज भी हमारे समाज में ऐसे लोग व्याप्त हैं। उन्हें इससे सीख लेनी चाहिए।
होरी के महाजन उससे व अन्य गांव वालों से प्रत्यक्ष रूप से कर लेते थे लेकिन उनकी बिरादरी अप्रत्यक्ष रूप से लूटते थे ,इस प्रकार किसान अधिक गरीबी में डूबते थे जिससे उनका चूल्हा भी नहीं जल पाता था लेकिन वे कोल्हू के बैलों की तरह पिसते रहते हैं। यह उपन्यास हमें विरोध करने का साहस देता है।
मैंने गोदान पढ़ा, जिसमें नायक होरी आसामी होता है तथा उसकी पत्नी धनियां खेती-बाड़ी में उसकी मदद करती है। धनिया को एक विरोधी नायिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है जबकि नायक होरी बिना किसी बात के विरोध किए समाज के उच्च वर्गों द्वारा कहे जाने वाली बातों को स्वीकार करता है। इस प्रकार वह खेतीहर मजदूर बन जाता है। इसके विपरीत गोबर गांव में काम करके पिसना नहीं चाहता है। वह नहीं चाहता है कि परिश्रम वह करे और खाए कोई और।
प्रेमचंद जी ने इस उपन्यास में महिलाओं की स्थिति का वर्णन किया है जिसमें विधवा विवाह,दहेज प्रथा आदि को उजागर किया गया है। इसमें मिस मालती जैसी महिलाएं भी दिखाई गई हैं जो दूसरों की सेवा में तत्पर रहती हैं और फिलोसफर की तरह जिंदगी व्यतीत करना चाहती है। यह उस समाज की पढ़ी-लिखी महिला है जो अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। यह लखनऊ की प्रसिद्ध डाॅक्टर है। वह आधुनिक बातों को मानने वाली महिला है। इसके विपरीत मिसेज खन्ना जो कविताएं रचती है तथा घर के सारे बंधनों से बंधी है। भोग-विलास के साम्राज्य में रहकर भी उन्हें भोग-विलास तनिक भी न छू पाया है। वह एक त्यागी तथा आदर्श महिला है। मिस खन्ना बेहद कंजूस है। उन दोनों में कोई बात नहीं पटती क्योंकि मिस खन्ना पूरी तरह भोग-विलास में डूबे हुए व्यक्ति हैं। मिस्टर मेहता एक फिलास्फर व्यक्ति हैं जो प्रसिद्ध डाॅक्टर भी हैं। वे अपने पैसे को लोगों की सेवा में अर्पित करते हैं तथा समाज के बंधनों से मुक्त किताबी कीड़े हैं अर्थात पुस्तकों का पीछा नहीं छोड़ना चाहते हैं। ये शहर के जीवन को दर्शाते हैं। इस प्रकार यह रचना काफी रोचक है।
मेरे विचार से इसमें धनिया काफी हद तक सही होती है। यदि होरी की जगह धनिया कर चुकाने जाती तथा लोगों के सामने बेझिझक बात रखने का उसमें जो साहस है ,उसे होरी नहीं दबाता तो शायद वह खेतीहर मजदूरी करने और इस प्रकार के ऋणों में डूबने से मुक्त रहते।यह उपन्यास यह प्रेरणा देता है कि लोगों का सीधापन ही उनके पतन का कारण बनता है। हमें अपने हितों की रक्षा के लिए विरोध करना भी आना चाहिए होरी बेवजह ही ऋण चुकाता था।
जब गोबर ने किसी विधवा स्त्री से शादी कर ली यह कोई गलत कार्य नहीं था। होरी भी इससे सहमत था लेकिन महाजनों के कहने पर बिरादरी के भय से उसने अपने घर को ही दांव में लगा लिया। इसी तरह भोला की गाय 80 रुपए की थी जबकि होरी के बैल 300 रुपए के थे। गांव वाले उसके साथ थे फिर भी उसने बैलों को ले जाने से नहीं रोका। यह सब उसके सीधेपन का ही परिणाम था। इस वजह से होरी के घर में चूल्हा भी नहीं जलता। यह बहुत बड़ी दीनता थी। आज भी हमारे समाज में ऐसे लोग व्याप्त हैं। उन्हें इससे सीख लेनी चाहिए।
होरी के महाजन उससे व अन्य गांव वालों से प्रत्यक्ष रूप से कर लेते थे लेकिन उनकी बिरादरी अप्रत्यक्ष रूप से लूटते थे ,इस प्रकार किसान अधिक गरीबी में डूबते थे जिससे उनका चूल्हा भी नहीं जल पाता था लेकिन वे कोल्हू के बैलों की तरह पिसते रहते हैं। यह उपन्यास हमें विरोध करने का साहस देता है।
It really helped me a lot to understand the story of 'Godan' in a nutshell.
ReplyDeleteNice work.
बेहतरीन तरीके से काम किया ।
ReplyDeleteNice explanation
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DeleteThe exploitation of farmer as depicted in"Godan" is very touching.Hori's repentance when he had to marry her daughter Roopa to an old man is more moving,the limit of repentance go beyond comprehension when Dhaniya is asked o donate cow at the death of hori.
ReplyDeleteSoo nice...it helped me in my holiday home work............thanx for this
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ReplyDeletegreat explanation
ReplyDeleteIt is very nice. It helps a lot to me in understanding godan for my homework.
ReplyDeleteIt is very use ful for me to write an article
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